डबल मार्कर टेस्ट क्या है || double marker test in hindi
आज के समय में देखा जाये तो हमे कही भी येसा बच्चा देखने को मिल जाता है जो शारिरिक और मांशिकता से विक्लाग हो । इस के बारे में कुच येसी माहीला है जो इसे इस के बारे में पता नहीं है । प्स प्रकार के बच्चे क्यु होते है और कैसे पता लगाये । इस के बारे पता ना होने के कारण महिला परेशान होती है । इस पोस्ट मेहम सारी जानकारी आपको बतायेगे । डबल मार्कर टेस्ट क्या है

double marker test in hindi
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double marker test in pregnancy in hindi
double marker test एक ब्लड टेस्ट होता है जो pregnant महीला ओ को कीया जाता है ।ये टेस्ट करवाना बहुत ही ज्यादा जरुरती होता है । इस टेस्ट से हम यह जान सकते है जो बच्चा गर्भ में पल रहा होता है वो शारिरिक या मानशिक विक्लांता तो नहीं है ना यानी की क्रोमोसोमल एब्नॉमेलिटेऐ नहीं है ना ।
हर महिलाको pregnancy के द्रोरान यह टेस्ट करवाना बहुत ही जरुरई है । ताकी आपको पता लगे बचा सेफ् है या नहीं । आपको डोक्टॉर के साथ मिलके इसके बारे में बाते करनी होगी ।
इस टाईप के टेस्ट से हम तीन प्राकर से क्रोमोसोमल एब्नॉमेलिटेऐ का पता लगा सकते है । सबसे पहला Down Syndrome / Trisomy 21 है दुसरा Edwars’ Syndrome/ Trisomy 18 है उस के बाद तिसरा Patau Syndrome / Trisomy 13 है ।
ये जो Syndrome वाले बच्चे होते है इस में एक एक्ट्रा क्रोमोसोमल समा जाता है । हमारे नोर्मल शरीर में 46 क्रोमोसोमल होते है 23 के पैर से । कुच बच्चे में एक एक्ट्रा क्रोमोसोमल आने काराण शारिरीक या विक्लांग्ता देखने को मिलती है । एक्ट्रा क्रोमोसोमल की वजह से शारिरिक और मांनशिक बाधा आ जाती है ।
कोई भी मां पिता यह नहीं चाहता की उन का बच्चा यह किसी बिमारी लेके पेडा ना हो इस लीये यह टेस्ट करवाना बहुत जरुरी है ।
हलाकी कही बच्चे येसे होते है जिस में बच्चे के कुच ना कुच खामी देखने को मिलती है । यह सब ना हो इसलीये हमे यह टेस्ट करवाना चाहीये ।
यह टेस्ट आपके 1st Trimester में कीया जाता है । 1st Trimester का मतलब है शुरुआत के तीन महीनो को 1st Trimester कहा जाता है । यह आप के 11- 14 हप्टे की pregnancy होती है उस में कीया जाता है । तिसरे महीने की अखीर में यह टेस्ट कीया जाता है ।
double marker test किस को करवाना चाहीये ।
हर प्रेग्नेट महीला को यह टेस्ट करवाना चहीये । भारत में हर 700 बच्चो मेसे एक बच्चा Down Syndrome का होता है । इन मेसे एक बच्चा आपका भी हो सकता है । इस लीये हमे यह टेस्ट करवाना बहुत ही जरुरी है ।
लेकिन कुच महीया येसी होती है जिसे इस प्रकार के बच्चे होने की सभावना जादा होती है । महीला 35 वर्ष से ज्यादा हो या उन्हे डायाबिटिस हो या pregnancy इबीहेव हो या परिवार में पहले इस तरह के बच्चे का जन्म हुवा है या पहला बच्चे में यह देखा गया हो । इस प्रकार के जाज से पता चला होतो यह बच्चे होने के चांस होते है । इस प्रकार के जो कोई केटेगरी में आती उसे यह टेस्ट करवाना जरुरी है ।
इस के अलावा कम उम्र वाली महीला उसे भी यह टेस्ट करवाना बहुत ही जरुरी बन जाता है ।
इस टेस्ट को double marker test इस लीये कहा जाता है क्यु कि दो टेस्ट करवाया जाता है पहला BETA HCG और दुसरा PAPPA है ।
BETA HCG एक होर्मोन होता जो pregnancy में होता है । PAPPA एक प्रोटीन होता है इन का मतलब Pregnancy Associated Plasma Protein
इन प्राकार के टेस्ट के अनुसार देखा जाता है की बच्चे में इन प्रकार के होने के कितने चांस होते है । इन दोनो टेस्ट में कुच उपर निचे होता है तो थोडा सा अनुमान लगाया जाता है ।
यह एक नोर्मल सा ब्लड टेस्ट होता है आपको खाली पेट आना येसा करने की कोई जरुरत नहीं होती है ।यह अपनी सुविधा के अनुसार करवा सकते है ।
लेकिन double marker test आपको हमेशा NT scan के साथ करवाना होता है । क्यु की NT scan रिसुल्ट और double marker test का रिसुल्ट दोनो का एक्ठा होके रिसुल्ट तैयार कीया जाता है ।
NT scan करवाना बहुत जरुरी होता है ।
यह टेस्ट थोदा सा महेगा होता है जैसे की 1500 से ले 2500 तक का होता है ।
इन्के रिपोर्ट से यह पता चलता है की इस प्रकार Syndrome बच्चे में होने का कितना चांस होता है । या ज्यादा रिक्क्ष है या कम रिक्क्ष है । कम रिक्क्ष है तो बच्चा सेफ माना जाता है । ज्यादा रिक्क्ष है तो आपको आगे और टेस्ट करवाना होता है पुरी तरहा यह सच है या नहीं ।